Friday 24 November 2017

शायरी 36

शायरी 

मैं फ़ूल पर रखी ओस की बून्द भी चुन लेता हूँ। 
तुम निगाहों से कह देती हो ,
मैं निग़ाहों से सुन लेता हूँ। 

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